प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना -2024 ऐसे करें अप्लाई

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 2024:

भारत, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और कारीगरी परंपराओं के लिए विश्वभर में जाना जाता है। कारीगर और हस्तशिल्पियों की यह परंपरा न केवल देश की पहचान का हिस्सा है, बल्कि यह लाखों लोगों की आजीविका का भी आधार है। ऐसे ही कारीगरों की बेहतरी और उनके काम की महत्ता को पहचानते हुए भारत सरकार ने 2023 में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Yojana) का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और हस्तशिल्पियों को आर्थिक और तकनीकी समर्थन प्रदान करना है, जिससे वे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें और उनकी कला को मान्यता मिले।

योजना का उद्देश्य

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का मुख्य उद्देश्य उन कारीगरों और पारंपरिक शिल्पकारों की सहायता करना है जो अपने हाथों और औजारों के जरिए अद्वितीय वस्तुएं बनाते हैं। योजना का फोकस विशेष रूप से उन 18 पारंपरिक व्यवसायों पर है जिनमें सुनार, लोहार, कुम्हार, दर्जी, बढ़ई, जूता बनाने वाले, और ऐसे अन्य शिल्पकार शामिल हैं। ये कारीगर पीढ़ियों से अपनी कला और कौशल के माध्यम से न केवल अपनी आजीविका चला रहे हैं, बल्कि भारत की संस्कृति और धरोहर को भी संरक्षित कर रहे हैं।

इस योजना के अंतर्गत, कारीगरों को उनके कौशल का प्रमाण पत्र और पहचान पत्र प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही उन्हें कौशल उन्नयन (skill upgradation), औजारों के लिए प्रोत्साहन (toolkit incentive), क्रेडिट समर्थन (credit support), डिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहन (incentive for digital transactions), और मार्केटिंग सहायता (marketing support) जैसे लाभ प्रदान किए जा रहे हैं।

योजना की विशेषताएँ

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना कई महत्वपूर्ण विशेषताओं के साथ आई है, जो इसे पारंपरिक योजनाओं से अलग बनाती हैं:

1. कौशल उन्नयन: कारीगरों को उनके पारंपरिक कौशल में उन्नति करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। उन्हें नई तकनीकों और उपकरणों से अवगत कराते हुए उनके उत्पादों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में सुधार किया जाएगा।

2. टूलकिट इंसेंटिव: कारीगरों को उनके कार्य को सुगम बनाने के लिए औजार और उपकरण प्रदान किए जाएंगे। इसके तहत, प्रत्येक कारीगर को टूलकिट्स के लिए प्रोत्साहन राशि मिलेगी, जिससे वे अपने काम को और बेहतर कर सकें।

3. क्रेडिट समर्थन: इस योजना के तहत कारीगरों को बिना किसी गारंटी के 1 लाख रुपये तक का कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। दूसरे चरण में, यह राशि बढ़ाकर 2 लाख रुपये तक की जा सकती है। यह वित्तीय सहायता उन्हें अपने कार्य को विस्तारित करने और अपनी जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगी।

4. डिजिटल लेन-देन का प्रोत्साहन: डिजिटल इंडिया पहल को प्रोत्साहन देते हुए, योजना के अंतर्गत कारीगरों को डिजिटल लेन-देन करने पर भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, जिससे उन्हें आधुनिक आर्थिक प्रणाली में समाहित किया जा सके।

5. मार्केटिंग और ब्रांडिंग समर्थन: कारीगरों के उत्पादों को स्थानीय और वैश्विक बाजारों में प्रोत्साहित करने के लिए मार्केटिंग और ब्रांडिंग सहायता दी जाएगी। इस पहल का उद्देश्य ‘लोकल को ग्लोबल’ बनाना है, जिससे कारीगरों के उत्पादों को व्यापक बाजार में पहचान मिले |

2025 के लिए योजना के लक्ष्य

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लक्ष्य 2025 तक देशभर के लाखों कारीगरों और शिल्पकारों को आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के तहत, सरकार का उद्देश्य है कि पारंपरिक कारीगरों की कौशल क्षमता को उन्नत किया जाए और उन्हें वित्तीय रूप से सशक्त बनाया जाए। 2025 तक योजना के अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना है:

1. व्यापक पंजीकरण: सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक योजना के तहत 30 लाख से अधिक कारीगरों को पंजीकृत किया जाए। इसके लिए विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

2. क्रेडिट और वित्तीय सहायता: 2025 तक सरकार ने लगभग 15,000 करोड़ रुपये की राशि कारीगरों की वित्तीय सहायता के लिए निर्धारित की है। यह राशि क्रेडिट समर्थन, टूलकिट और अन्य प्रोत्साहनों के माध्यम से वितरित की जाएगी।

3. डिजिटल इंडिया से जोड़ना: सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के तहत 2025 तक सभी कारीगरों को डिजिटल वित्तीय लेन-देन से जोड़ने का लक्ष्य है। इससे न केवल उनका कार्य आसान होगा, बल्कि वे आधुनिक आर्थिक प्रणाली का हिस्सा भी बनेंगे।

4. ग्लोबल मार्केट में प्रवेश: योजना का एक प्रमुख उद्देश्य भारतीय कारीगरों के उत्पादों को वैश्विक बाजार में स्थापित करना है। इसके लिए 2025 तक सरकार द्वारा कई अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों और मेलों का आयोजन किया जाएगा, जिससे कारीगरों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने का अवसर मिलेग |

योजना की चुनौतियाँ और समाधान

हालांकि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना कई महत्वपूर्ण पहलुओं को संबोधित करती है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। इनमें प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:

1. शिक्षा और जागरूकता की कमी : कई कारीगर और शिल्पकारों को अभी भी सरकारी योजनाओं और उनके फायदों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। इसका समाधान व्यापक जागरूकता अभियानों के माध्यम से किया जा सकता है, जिसमें डिजिटल और पारंपरिक माध्यमों का उपयोग किया जाए।

2. मार्केटिंग और ब्रांडिंग में कमी: कई कारीगरों के उत्पादों की गुणवत्ता तो बेहतर होती है, लेकिन उनकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर ध्यान नहीं दिया जाता। सरकार ने इस योजना में मार्केटिंग और ब्रांडिंग समर्थन को प्रमुखता दी है, जिससे इस चुनौती को दूर किया जा सके।

3. वित्तीय समावेशन की कमी: देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कई कारीगर अब भी बैंकों और वित्तीय संस्थानों से दूर हैं। इसके समाधान के लिए, सरकार ने डिजिटल वित्तीय समावेशन और बैंकों तक पहुंच को सरल बनाने की दिशा में काम किया है।

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योजना का दीर्घकालिक प्रभाव

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना न केवल कारीगरों और शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति को सुधारने का वादा करती है, बल्कि इससे भारतीय हस्तशिल्प उद्योग को भी विश्व पटल पर नई ऊँचाइयाँ प्राप्त होंगी। इस योजना के माध्यम से, सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी पहलों को भी बढ़ावा दे रही है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके।

इसके अलावा, यह योजना देश की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कारीगरों की परंपरागत कला और कौशल को प्रोत्साहन देकर, यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि यह धरोहर अगली पीढ़ी तक पहुँच सके और उसका संरक्षण हो।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 2025 कारीगरों और हस्तशिल्पियों के लिए एक समग्र और दूरदर्शी योजना है। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि भारतीय हस्तशिल्प को भी वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलेगी। सरकार की इस पहल का उद्देश्य कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त करना, उनके पारंपरिक कौशल का विकास करना और भारतीय कारीगरी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना है। योजना के सफल क्रियान्वयन से आने वाले वर्षों में भारत के कारीगरों और शिल्पकारों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।

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