ghanshyam dash birla video script
इंट्रो:
(मोटिवेशनल बैकग्राउंड म्यूजिक)
वॉयस ओवर:
“क्या आप जानते हैं कि भारत की सबसे पुरानी और सबसे प्रभावशाली कंपनियों में से एक बिरला ग्रुप की कहानी केवल एक परिवार के जुनून, संघर्ष और दूरदर्शिता पर आधारित है? आज हम आपको बताएंगे कि कैसे घनश्याम दास बिरला ने अपने सपनों को साकार कर एक छोटे से व्यापार को एक विशाल साम्राज्य में बदल दिया। यह कहानी है मेहनत, संघर्ष और सफलता की।”
सीन 1: शुरूआत की झलक (पुराने समय के भारत की तस्वीरें, फैक्ट्री के शुरुआती सेटअप के फुटेज)
वॉयस ओवर:
“बात है 1857 के दौर की। राजस्थान के पिलानी गांव में बिरला परिवार की नींव पड़ी। लेकिन, इस परिवार के सपने सिर्फ अपने गांव तक सीमित नहीं थे। सबसे बड़ा कदम उठाया घनश्याम दास बिरला ने, जो केवल 22 साल की उम्र में कोलकाता पहुंचे। उस समय कोलकाता व्यापार का केंद्र था।”
सीन 2: पहला व्यापार (घनश्याम दास बिरला की पुरानी तस्वीरें और कोलकाता की झलक)
वॉयस ओवर:
“घनश्याम दास ने अपने व्यापार की शुरुआत जूट के बिजनेस से की। आज से लगभग 100 साल पहले श्री घनश्याम दास बिरला ने अपनी पहेली जुट मिल – बिरला जुट MENUFACTURING कंपनी लिमिटेड की स्थापना करके ओधयोगिक विनिर्माण के क्षेत्र मे कदम रखा , यहीं से बिरला परिवार का औद्योगिक परिदृश्य में प्रवेश हुआ | उस समय भारत में जूट की बहुत मांग थी। लेकिन, विदेशी कंपनियों का बोलबाला था। उन्होंने ठान लिया कि भारतीय व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। बस फिर क्या था, उन्होंने एक छोटी सी मिल लगाई और धीरे-धीरे व्यापार को बढ़ाते गए।” “27 साल की उम्र में वे बंगाल विधानसभा के सदस्य बन गए। 26 साल की उम्र में उन्होंने एम्पायर अख़बार खरीदा और उसका नाम बदलकर न्यू एम्पायर रख दिया। इसके बाद उन्न्होंने हिंदुस्तान टाइम्स अखबार भी खरीद लिया | जिसका प्रबंधन बाद मे उनके बेटे श्री केके बिरला ने किया |
सीन 3: शुरुआती संघर्ष (पुरानी मिलों की फुटेज, मेहनत करते हुए मजदूरों की तस्वीरें)
वॉयस ओवर:
“शुरुआती दिनों में घनश्याम दास को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी मेहनत और ईमानदारी ने विदेशी कंपनियों को भी हैरान कर दिया। उन्होंने अपनी मर्जी से व्यापार किया और भारतीय उत्पादों को विदेशों तक पहुंचाया।”
सीन 4: सफलता की उड़ान (बिरला ग्रुप की बड़ी फैक्ट्रियों और उनके प्रोडक्ट्स की झलक)
वॉयस ओवर:
“जूट व्यापार में सफल होने के बाद, घनश्याम दास बिरला ने अपनी नजरें सीमेंट, चीनी, कपड़ा, और चाय जैसे अलग-अलग उद्योगों पर डालीं। और यहीं से शुरू हुआ बिरला ग्रुप का असली सफर। उन्होंने सिर्फ बिजनेस नहीं किया, बल्कि देश के विकास में योगदान दिया। उनकी कंपनियों ने हजारों लोगों को रोजगार दिया और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया।”
सीन 5: बिरला परिवार की विरासत (बिरला परिवार के अलग-अलग पीढ़ियों के फुटेज)
वॉयस ओवर:
“आज बिरला ग्रुप का नेतृत्व कुमार मंगलम बिरला कर रहे हैं। लेकिन यह साम्राज्य सिर्फ व्यापार का नाम नहीं है। यह एक ऐसी विरासत है जिसने पीढ़ी दर पीढ़ी अपने आदर्शों को कायम रखा है। बिरला ग्रुप अब 40 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है और 15 से ज्यादा अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहा है।”
सीन 6: सामाजिक योगदान (बिरला मंदिर, स्कूल, और अस्पताल की झलक)
वॉयस ओवर:
“बिरला ग्रुप न केवल व्यापार के लिए बल्कि समाजसेवा के लिए भी जाना जाता है। बिरला मंदिर, शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल उनकी सोच और योगदान को दर्शाते हैं।”
सीन 7: प्रेरणा (घनश्याम दास बिरला की तस्वीर और उनके कुछ प्रेरणादायक शब्द)
वॉयस ओवर:
“घनश्याम दास बिरला ने एक बार कहा था, ‘सच्ची सफलता वही है जो दूसरों को आगे बढ़ने का मौका दे।’ और बिरला ग्रुप ने इसे सच कर दिखाया।”
आउट्रो:
(म्यूजिक और ग्रुप की उपलब्धियों के विजुअल्स)
वॉयस ओवर:
“तो दोस्तों, यह थी घनश्याम दास बिरला और उनके सपनों की कहानी। एक ऐसा सफर जिसने साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से कुछ भी मुमकिन है। क्या आपको यह कहानी प्रेरणादायक लगी? हमें कमेंट करके जरूर बताएं और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें ताकि आप ऐसी और भी कहानियों से प्रेरणा लेते रहें।”
(लोगो और टैगलाइन के साथ स्क्रीन फेड आउट)
“बिरला ग्रुप – विश्वास और सफलता की पहचान।”