पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री पूरी दुनियां पर राज करने वाला महापुरुष

              

पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय

जापर कृपा राम की होई तपर कृपा करही सब कोई जिनके कपट दाम ना माया तिनके कपट बसु रघुराय
भगवान श्री राम या उनके अनन्य भक्त श्री बालाजी हनुमान की कृपा का ही चमत्कार है कि आज देश या दुनिया के हज़ारों लोग बागेश्वर धाम की या दाऊदते चले आ रहे हैं कोई लंबी बीमारी से परेसान है कोई संतान की कामना ले कर आया है किसी का जीवन असंत है तो कोई वस्तुत है मध्य प्रदेश के बंडल खंड में स्थिति संत धीरेंद्र कृष्ण का आश्रम छतरपुर जिले के ग्राम गढ़ा में बागेश्वर धाम के नाम से प्रख्यात है वेद पुराणों या देवताओं की पवित्र भूमि भारत पर साएक्रोन सैलून में परमचेतना को उत्थान ऐसे अनेक फूल खिले हैं जिन्की सुगंध से मानव समाज पल्विट परिपुलित या परिपकवा हुआ है

कोन हैं पण्डित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

आज हम आपसे एक ऐसे ही परम साधक की च चा कर रहे हैं जिन्को ये संसार श्री बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर संत श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नाम से जनता है हजारों समस्याओं या व्याधियों से दुखी मानव समाज इस दरबार में आपने कस्तों का निवारण पा रहा है हलचल तो इस बात का है कि विज्ञान के इस युग में समाधान को लेकर आए  लोगों के मन की बात उनसे पूछे बगैर ही संत श्री बागेश्वर थम पीठाधीश्वर के द्वार  पहले ही परचे पर लिख दी जाती है बिना पूछे सिर्फ  व्यक्ति का भूत वर्तमन या भविष्य जान लेते है आप्तु उनकी समस्याओं का निवारण भी कर देते हैं ऊ भी पुरी तरह निहशुलक पुरी तरह गढ़ा गांव के ही बाहरी हिस्से में एक प्राचीन मंदिर स्थित है जो चंदेल कालीन बताताया जाता है इस मंदिर में बागेश्वर महादेव का चमत्कारिक स्वरूप है तो वही स्वयं बालाजी हनुमान जी भी वीरराजमान है नियति ने बालक धीरेंद्र को इसी मंदिर की ओर पुकारना सुरू कर दिया इसके मध्यम बने बागेश्वर मंदिर के पुजारी  या धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादा पंडित सेतुलाल गर्ग जी श्री  बागेश्वर बालाजी सरकार या  बागेश्वर महादेव  के कृपा पत्र श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पास ऐसी कोण सी शक्ति है जिस से वे मनुष्य के भूत वर्तमन या भविष्य को जा एएन लेटे है आईएसआई प्रसन्न का उत्तर खोजने हम उनके प्राथमिक जीवन की तरफ लाते हैं बागेश्वर बालाजी की सेवा में बच्चन के आठ नौ बरस से ही धीरेंद्र शात्री जी लग गए ll
बारह से तेरह वर्ष की अवस्था में जब हम पहुँच गए  थे तब उस वक्त उनके अनुभव बढ़ने लगे थे, उनके पूज्य दादा जी उन्हें कुछ विशेष विधियाँ द्वार  उन्हें संजोने लागे थे संभालने लगे थे और ओ कहते थे कि गुरु जो हैं बांहे पकडता है और गुरु बाहे पकड़ करके परमात्मा के चरणो में रख देता है और उनके गुरुदेव पूज्य दादा गुरु ने उनकी बांहों को पकड़कर बागेश्वर महादेव बागेश्वर बालाजी के चरणो में रख दिया    था,    ग्राम गढ़ा में 10 जुलाई 1996 को पिता श्री राम कृपाल गर्ग ईवाम माता श्रीमती सरोज के आंगन में जन्में बालक धीरेंद्र को क्या पता था के आने वाले समय में ओ भागवत कथा को उपलब्ध होकर मानव कल्याण का मध्यम बनेंगे उनका जीवन भिषणतम ग़रीबी के बिच ब्यतित हुआ एक कच्छे कामरे में ही उनका पांच लोगों का पुरा परिवार गूजर बसर कर्ता था कर्मकांडी ब्राह्मण परिवार होने के कारण शुद्ध परिवार की जीविका, पूजा या अनुष्ठान करने के बाद मिलने वाली दक्षिणा पर ही निर्भार करती थी।

18 वर्ष की अवस्था में जब उस वक्त उनका जीवन भारी कठिनाइयों एवम बुरे परिस्थितियों से गुजर रहा था तब दक्षिणा की खोज में पैसे की चाह में कि ओ भी अच्छा भोजन करें अच्छे वस्त्र पहनें और भगवत कृपा को प्राप्त करें, तब दादा गूरु ने हमें सहारा दिया और कहा संसार में सिवाए परमात्मा के तुम्हें कोई आगे नहीं ले जा सकता है,        एक तरफ भिसन गरीबी और दूसरी तरफ  कोमल आयु में ही परिवार के भरण पोसन का भार ऐसा प्रतीत होता है जैसे परमात्मा ने इस बालक को स्वर्ण की तरह निखारने के लिए परीक्षा की अग्नि मे तपा रहा था ।।

पण्डित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के जीवन में कैसे हुआ अचानक बदलाव,

फिर ऐसा क्या हुआ की अचानक सामान्य चेतना परम साधक की चेतना में बादल उठी ,

पूछने पर धीरेंद्र शास्त्री जी ने बताया कि “”दादा जी के कांशी वॉश होने के बाद में मन दुखी हो गया कोई मार्ग दर्शक नहीं था कोई प्रेरणा देने वाला नहीं था कोई समझाने वाला नहीं था तो हम खूब रोते रहते थे फिर एक बार एक स्वप्न आया तब हमारे जीवन का बदला स्वप्न से सुरू हुआ अचानक से स्वप्न में ऐसी प्रेरणाएं प्रारंभ हुई कि अगर आगे बढ़ना है तो साधना मार्ग को तेज करो, अब साधना मार्ग कोन सा लेन क्या साधना करें किसकी साधना करें कैसे करें, इन सब से हम बहुत भयभीत थे सपने में जो प्रेरणा बालाजी की थी कि आप अज्ञातत्व साधना करो अज्ञात साधना से ही संसार की कठिनाइयों को पार करके आप लोगों के जीवन में एक ऊर्जा एक प्रकाश भर सकते हो ईस भावना का स्वप्न एक दो बार हमारे मन में आने लगा तो हमने सोचा मन की कोई तरंग होगी या मन का कोइ भाव होगा या भ्रम होगा, तो इस बात को माता जी को हम बताये पिता जी को भी बताये उस वक्त पिता जी हमारे काम धाम थोड़ा देखने लगे थे पुरी तरह से स्वस्थ थे काम धाम सब देखने लगे तो पिता जी ने कहा स्वप्न है आते रहते हैं इनको हृदय में नहीं लेना चाहिए, इसी तरह ओ स्वप्न मुझे अगली बार फिर दूसरी बार आया  अज्ञातवास करो, फिर तीसरी बार आया अज्ञातवाश करो तब ज्ञातवाश से हम अंजान थे कि ये अज्ञातत्व है क्या खोज की तो पांडवों का अज्ञातवाश हमने पढ़ा पांडवों ने अज्ञातवाश की साधना की थी तबी उन्होंने महाभारत जैसे युद्ध पर विजय प्राप्त की थी, हम समझ गए थे कि प्रेरणा यहां है, बल दादा गुरु जी के कारण थोडी मोड़ी उनकी कृपा से बुद्धि खुली थी तो समझ गए कि इस अज्ञातत्वश की साधना से संसार रूपी महाभारत से हम जीत तो नहीं सकते पर महाभारत में खड़े होने के लायक सायद ये अगतवाश बना सकता है उसी अज्ञातवाश के बिच में हम अपने पूज्य सद्गुरु भगवान जो हमारे वंसिय गुरु थे जिन्की दादा के ऊपर भी कृपा थी सद्गुरु सन्याशी बाबा उनकी प्रेरणायें हम उसे एक दृष्टि से प्रत्यक्ष रूप से एक दृष्टि से उनका अनुभव एक दृष्टि से उनका साक्षात्कार एक दृष्टि से उनके प्रति चारनो में हमारी प्रीति या उनका आशीर्वाद हम पर उसी अज्ञातवास के कारण भगवत कृपा हुई गुरु कृपा से फिर उन्होंने अनवरत प्रेरणाएं दिए और कहा अब आप घर जाइएऔर उन्होंने बताया कि ऐसा ऐसा कार्य आगे का करे उस पूज्य सतगुरु सन्याशी बाबा के चरणो की धूल को लेकर के हम वापस आए गांव भर में खूब स्वागत हुआ सब लोग प्रसन्न हुए मां भी हमारी प्रसन्न हुई और धीरे धीरे दरबार की यात्रा जहां से छोडकर गए थे वहा से सुरू हुई और आज संसार रूपी महाभारत के समय में संसार के कष्टों को मिता तो नहीं पाते हैं पर उनके कष्टों को समझकर के उनको दंडस बताते हैं या गुरु का नाम लेकर के सद्गुरु संन्यासी बाबा बगेश्वर बालाजी की साधना जो अज्ञातवाश के मध्य में गुरु ने हमें प्रेरणा दी उस साधना का सिमरन करके बालाजी का नाम लेकर उनके दुखों का दंडस बताकर उनको मार्गदर्शन देने का कार्य करते हैं “”” ll

              अज्ञातत्व के कठिन मार्ग पर चलते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उस भागवत कृपा को अर्जित किया जिसे देख लोग अचम्भित रह जाते हैं बगेस्वर धाम पर देश और दुनिया के हज़ारों लोग आपनी समस्याओं को लेकर पाहुच रहे हैं जिन्की समस्याओं का निदान हुआ है उनके अनुभव चौंकाने वाले हैं अपनी संकटों या समस्याओं से मुक्त हुए लोग संत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को भगवान कहते हैं भगवान का रूप मानते हैं, लेकिन धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी इस सम्बोधन से सहमत नहीं है वे कहते हैं कि ऐसा कहना गलत है हमारे लिए वे कहते हैं कि गुरु भगवान हो सकते हैं परन्तु मनुष्य कभी भगवान नहीं बन सकते हैं पुरुष बन सकते हैं महापुरुष बन सकते हैं सिद्ध बन सकते हैं ज्यादा निपुर्णता आने के बाद गुरु बन सकते हैं परंतु कभी भगवान नहीं बन सकते हैं “””” अपनी शक्तियों को ओ बालाजी सरकार की महिमा के सिवाय और कुछ नहीं मानते श्रधालुवोन की अपार संख्या अपनी भावनाओं को लेकर पहुंचते है उनकी समस्याओं का निवारण तो निहशुल्क होता ही है परन्तु मां अन्नपूर्णा की कृपा से प्रत्येक दिन चल रहे भंडारे में उन्हें प्रसाद भी निहशुल्क दिया जाता है एक सामान्य मनुष्य से साधक बने संत श्री धीरेंद्र शास्त्री के जीवन की ये कथा अब नए संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है नर सेवा को ही नारायण सेवा मानने वाले संत श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आज एक यओर जहां अपनी दिव्य शक्तियों से दीन हिन समाज की व्याधियों को मिटा रहे है तो वही दुशरी और तरफ सनातन संस्कृति के प्रचारऔर गौ रक्षा, निर्धन कन्याओं के विवाह जैसे संकल्प के माध्यम से समाज और मानव कल्याण का मार्ग भी प्रस्तुत कर रहे हैं ।।

4 thoughts on “पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री पूरी दुनियां पर राज करने वाला महापुरुष”

  1. Pingback: Elementor #27 - techmitras.com

  2. Pingback: Elementor #39 - techmitras.com

  3. After I originally left a comment I seem to have clicked the -Notify me when new comments are added- checkbox and now every time a comment is added I recieve four emails with the exact same comment. Is there a way you can remove me from that service? Many thanks!

  4. May I simply say what a comfort to discover somebody who genuinely knows what they are talking about over the internet. You actually understand how to bring a problem to light and make it important. More people ought to check this out and understand this side of the story. I cant believe you arent more popular because you surely possess the gift.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version